बदला लो-बदल डालो- शशि यादव , राज्य अध्यक्ष, बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ
गौरी मंजीत सिंह
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
पटना.बिहार सरकार के द्वारा 'आशा' बहनों की आशाओं पर पानी फेर देने के बाद आशा कार्यकर्ता संघ के बैनर तले 22 सितम्बर को पीएचसी और 23 सितंबर को सिविल सर्जन के समक्ष दो दिवसीय आंदोलन किया जा रहा है.बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य अध्यक्ष शशि यादव दानापुर पीएससी के सामने लोकल न्यूज ऑफ इंडिया को बताया कि 'बदला लो-बदल डालो 'नारे के तहत महासंघ गोप गुट/ऐक्टू से सम्बद्ध आशा कार्यकर्ता संघ का दो दिवसीय आंदोलन शुरू किया गया है.राज्यस्तर पर आंदोलन जोर पकड़ लिया है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम मासिक मानदेय देने से दिल्ली-पटना की सरकारें भाग रही हैं,वहीं नीतीश सरकार इस कोरोना काल में भी कोरोना वारियर्स के भत्ते और पूर्व के बकाया देने से आना कानी कर रही है.
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर आज सभी पीएचसी पर प्रदर्शन किया गया.कल सभी जिले के 38 सिविल सर्जन के कार्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा।दो दिवसीय आशा बहनों के साथ हो रहे नाइंसाफी को आसन्न चुनाव का मुद्दा बनाएंगे.
बता दें कि चुनाव पूर्व घोषणा में सीएम नीतीश सरकार ने आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं और विद्यालय रसोइयों के साथ बड़ा छल किया है.जिस छोटी राशि को देने की बात हुई है,वह भी 2021 के अप्रैल से लागू होगी.लेकिन इसमें आशा बहनों की कोई चर्चा नही है, जबकि इस कोरोना महामारी के काल में जोखिम उठाकर आशा बहनों ने कोरोना वॉरियर्स का काम किया है.आशा बहनों के न्यायपूर्ण मांगों की अवहेलना करना इस सरकार के लिये मंहगा पड़ेगा. इसलिए,हमलोगों को अभी से माहौल बनाकर बदला लो-बदल डालो नारे के तहत आगे बढ़ना है.
बताया गया कि एक हज़ार रू.की मासिक राशि वाला फंड सिविल सर्जन के यहां आ गया है. आवंटन नहीं रहने के कारण मासिक राशि नहीं मिल रही है. इस राशि को अप्रैल2019 से जोड़कर मिलेगा.पीएचसी से जितना जल्दी रिपोर्ट सिविल सर्जन को मिलेगी उतनी जल्दी भुगतान होगा।सिविल सर्जन पर भी दबाव बनाना है. आशा बहनो का यह आंदोलन नीतीश सरकार के लिए एक और चुनौती हैं। चुनाव सर पर हैं और एक के बाद एक इस तरह के एजेंडे सरकार की हवा बिगाड़ रहे हैं।
पटना.बिहार सरकार के द्वारा 'आशा' बहनों की आशाओं पर पानी फेर देने के बाद आशा कार्यकर्ता संघ के बैनर तले 22 सितम्बर को पीएचसी और 23 सितंबर को सिविल सर्जन के समक्ष दो दिवसीय आंदोलन किया जा रहा है.बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य अध्यक्ष शशि यादव दानापुर पीएससी के सामने लोकल न्यूज ऑफ इंडिया को बताया कि 'बदला लो-बदल डालो 'नारे के तहत महासंघ गोप गुट/ऐक्टू से सम्बद्ध आशा कार्यकर्ता संघ का दो दिवसीय आंदोलन शुरू किया गया है.राज्यस्तर पर आंदोलन जोर पकड़ लिया है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम मासिक मानदेय देने से दिल्ली-पटना की सरकारें भाग रही हैं,वहीं नीतीश सरकार इस कोरोना काल में भी कोरोना वारियर्स के भत्ते और पूर्व के बकाया देने से आना कानी कर रही है.
बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की राज्य अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर आज सभी पीएचसी पर प्रदर्शन किया गया.कल सभी जिले के 38 सिविल सर्जन के कार्यालय पर प्रदर्शन किया जाएगा।दो दिवसीय आशा बहनों के साथ हो रहे नाइंसाफी को आसन्न चुनाव का मुद्दा बनाएंगे.
बता दें कि चुनाव पूर्व घोषणा में सीएम नीतीश सरकार ने आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं और विद्यालय रसोइयों के साथ बड़ा छल किया है.जिस छोटी राशि को देने की बात हुई है,वह भी 2021 के अप्रैल से लागू होगी.लेकिन इसमें आशा बहनों की कोई चर्चा नही है, जबकि इस कोरोना महामारी के काल में जोखिम उठाकर आशा बहनों ने कोरोना वॉरियर्स का काम किया है.आशा बहनों के न्यायपूर्ण मांगों की अवहेलना करना इस सरकार के लिये मंहगा पड़ेगा. इसलिए,हमलोगों को अभी से माहौल बनाकर बदला लो-बदल डालो नारे के तहत आगे बढ़ना है.
बताया गया कि एक हज़ार रू.की मासिक राशि वाला फंड सिविल सर्जन के यहां आ गया है. आवंटन नहीं रहने के कारण मासिक राशि नहीं मिल रही है. इस राशि को अप्रैल2019 से जोड़कर मिलेगा.पीएचसी से जितना जल्दी रिपोर्ट सिविल सर्जन को मिलेगी उतनी जल्दी भुगतान होगा।सिविल सर्जन पर भी दबाव बनाना है. आशा बहनो का यह आंदोलन नीतीश सरकार के लिए एक और चुनौती हैं। चुनाव सर पर हैं और एक के बाद एक इस तरह के एजेंडे सरकार की हवा बिगाड़ रहे हैं।
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