प.विनय शर्मा
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
हरिद्वार । निरंजनी अखाड़े के प्रमुख महामंडलेश्वर स्वामी सोमेशवरानांद गिरी जी ने कहा कि किसी भी गृहस्थ को संन्यास लेने का पूर्ण अधिकार है लेकिन साथ ही उन्होंने स्पष्ट भी किया कि संन्यास धारण करने के बाद फिर उसे गृहस्थ जीवन से कोई सरोकार नहीं रखना चाहिए अन्यथा ये संन्यास परंपरा के विरुद्ध होगा साथ ही उन्होंने कहा कि यदि कोई संत गृहस्थ कार्यों या व्यवहार में लिप्त पाया जाता है तो उस पर तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए ।
दरअसल हाल ही में एक विधायक (गृहस्थ) को निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर आसीन किए जाने की तैयारिया चल रही है जिस पर संत समाज का एक तबका विरोध कर रहा है । विधायक को महामंडलेश्वर पद पर बैठाने को लेकर उठे सवालों पर जवाब देते हुए निरंजनी अखाड़े के ही ममहामंडलेश्चर स्वामी सोमेश्चरानांद जी ने बताया की हमारे शास्त्रों पुराणों में आश्रम व्यवस्था के तहत जीवन बिताने की परम्परा रही है जिनमे इसके अलावा मनुष्य के जीवनकाल को चार आश्रम (भाग) में बाँटा गया उनमें ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम और सन्यास आश्रम है अतः गृहस्थ छोड़ सन्यास अपनाना कोई विरोध का कारण नहीं हा सन्यास के साथ गृहस्थ में दखल वो ग़लत है ।
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