विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। कई ऐसे मामले हैं जो आम जनता से कोसो दूर अपने आप में कागजो में या फिर कागजी कार्रवाई और सरकारी निर्णय के आस में दम तोड़ रहे हैं और साथ ही दम तोड़ रही हैं उन निवेशकों की उम्मीदे जिन्होंने बड़ी आस में इस आदर्श क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड में अपनी गाढ़ी कमाई लगाई होगी। निवेशकों की संख्या हजार दो हजार नहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर साहब के दिए गए बयान की माने तो लगभग सोलह लाख की हैं जो न जाने कितने सदस्यों के परिवार वाली होगी इसका अंदाजा अगर सोसाइटी को कागजी चंगुल से आजादी दिलाने की लड़ाई लड़ रहे लोगो की माने तो लगभग करोड़ पार हैं। यह माना जा रहा हैं कि वित्तीय लेनदेन में गड़बड़ी यानी मनी लॉन्ड्रिंग के चक्कर में इस कंपनी की सम्पत्तिया और इसके खाते सीज कर दिए गए थे जो कई अलग अलग एजेंसियों द्वारा की गयी कार्रवाई के हिसाब से हुए थे। परिसमापक ने इस कार्रवाई को अपीलीय न्यायाधिकरण, दिल्ली के समक्ष अपील की हैं और मौजूदा समय में कोई भी संपत्ति परिसमापक के पास निहित नहीं हैं। एक बार इस परिसंपत्तियों को जारी कर देने पर और उनका परिसमापन करने के बाद ही निवेशकों को भुगतान शुरू किया जा सकता हैं ऐसा जबाब केंद्रीय मंत्री ने संसद में सुभाष चंद्र गहेड़िया के सवाल पर दिया हैं।
अब मजेदार बात यह हैं कि अगर इस जबाब की माने तो वो एक बार का ाजिकरा कितने साल का होगा यह सुनिश्चित नहीं हो पा रहा जिसके इन्तजार में अब तक कई निवेशक जान गवां बैठे हैं और कई जीवन जीने की इच्छा त्याग चुके हैं। कानूनी दांव पेंच से इतर सरकार की मंशा और इस आदर्श क्रेडिट कोआपरेटिव सोसाइटी का वास्तविक अनियमितता की जांच आखिर करेगा कौन और कौन इसकी जिम्मेदारी तय करेगा ? सबसे बड़ा सवाल यह हैं कि आखिर उन लाखो निवेशकों को और इन्तजार करना पड़ेगा और इस इंतजार का खामियाजा और दम तोड़ चुके लोगो का मुवाअजा कौन भरेगा ?
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