एमपीसी बैठक में छाया रहा मुद्दा के डेप्युटी गवर्नर कानुनगो ने भी दास की बात दोहराते हुए कहा कि अक्टूबर और नवंबर की नई दिल्ली। देशभर में प्याज की आसमान शुरुआत में हुई बेमौसम बारिश ने कुछ फसलों छूती कीमतों ने अब रिजर्व बैंक को भी परेशान को नुकसान पहुंचाया, जिससे मंडी में इनकी करना शुरू कर दिया है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक आवक पर असर पड़ा है। नीति समिति एमपीसी की इस महीने की शुरुआत उन्होंने कहा, इसका परिणाम हुआ कि मांग में रेपो दर पर निर्णय लेने के लिए हुई बैठक में और आपूर्ति के तात्कालिक असंतुलन से चुनिंदा प्याज का मुद्दा छाया रहा। रिजर्व बैंक ने गुरुवार फसल को नुकसान होने के कारण सब्जियों के सब्जियों विशेषकर प्याज की कीमतें चढ़ गईं। को बैठक का ब्योरा प्रकाशित किया। भाव बढ़े हैं और इसी कारण खुदरा मुद्रास्फीति दास न कहा कि कुल मिलाकर आर्थिक वृद्धि और देश भर में प्याज की कीमतें सितंबर से बढ़ी बढ़ी है। छह सदस्यीय एमपीसी ने 5 दिसंबर को खुदरा मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर कई हुई हैं।
दिल्ली में प्याज का औसत भाव 130 से समाप्त हुई बैठक में रेपो दर को अपरिवर्तित रखने अनिश्चितताएं छायी हुई हैं। प्याज और अन्य 140 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहा है। ब्योरे के का फैसला किया था। दास के साथ ही एमपीसी सब्जियों के भाव में तेजी के कारण पिछले तीन अनुसार, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने के पांच अन्य सदस्यों चेतन घाटे, पामी दुआ, महीनों के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ी है। बैठक में कहा, खुदरा महंगाई सितंबर में तेजी से रविंद्र एच ढोलकिया, माइकल देवव्रत पात्रा और हालांकि यह अस्थायी हो सकती है। खरीफ की बढ़ी और अक्टूबर में भी इसमें तेजी देखी गई। विभु प्रसाद कानुनगो ने रेपो दर को 5.15 प्रतिशत देरी से बुवाई वाली फसलों के बाजार में आने से देश के कई हिस्सों में बेमौसम बारिश से खरीफ पर बनाए रखने के पक्ष में वोट किया। रिजर्व बैंक स्थिति में क्रमिक सुधार की संभावना है।
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