विजय शुक्ल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
दिल्ली। राम राज की आस में बैठे यूपी के बाभन लगातार होते दोहन और हनन से आज दुखी हैं और ठाकुर बाभन की खाई को बढ़ाते हुए मौजूदा सरकार कही ना कही दलित और पिछडो का कार्ड खलेने के चक्कर में इस समय बेपटरी होती दिख रही है। हालांकि भाजपा की अपनी गुना गणित देखने वाले चाणक्य लोग अपना पासा और बिसात बिछाकर शय मात के इस खेल में अपनी जीत का पूरा आकड़ा बिठा रहे होंगे।
पर जिस तरह से अखिलेश का युवा जोश इस समय मरने मिटने को तैयार हो सड़क पर उतर गया हैं वो भी बेरोजगारी और तंगी के समय में यह कही ना कही बिलकुल अलग राजनीतिक सन्देश दे रहा हैं। मानो ऐसा अलग रहा हैं जैसे रामराज के चक्कर में योगीराज की विदाई होने वाली हैं। ऐसा मैं नहीं कह रहा ऐसा दबी जुबान में कट्टर भाजपाई कह रहे हैं. क्योकि उनका मानना है जिस राज्य में ठाकुर बाभन अहीर वाला भाव दुबारा आ गया हो वहाँ खेल बदलेगा क्योकि जहां जहां पग पड़े संतन के वही समृद्धि होय वाली कहावत पर इस बार यूपी की बागडोर बाभनो ने साधने की पूरी तैयारी कर ली हैं। मायावती जी तो शान्ति भवन में बैठी ना जाने किस सोच में अपने वोट बैंक को बंटता देख रही हैं शायद उनकी भी कोई ईडी टाइप की मजबूरी हो। पर जिस अखिलेश यादव की सेना सड़क पर बवाल काट रही है तय मानिये योगीराज का सफाया शायद बाभन अहीर मुसलमान मिलकर करने को आतुर हैं.
इसके पीछे लगातार गिर रही सरकार के कामकाज की शैली के साथ साथ शासन प्रशासन का अपना खेल शामिल हैं ऊपर से केंद्र सरकार का भटकता हुआ सिस्टम भी। माहौल हालांकि अभी वैसा नहीं बना हैं जैसा बनना चाहिए क्योकि अखिलेश यादव का यह युवा जोश अगर लगातार ऐसे ही बवाल काटता रहा तो परेशान किसान , भय में जी रहे बाभन , सताये जा रहे व्यापारी सब अखिलेश की शरण में चले जाय। और एक नयी सोच और जोश वाली सरकार वापसी ला दे।
लाठी खा लौटा एक युवा ने जब यह कहा कि योगी जी की यह लाठी नहीं भूलूंगा क्योकि उस पुलिस वाले ने जान बूझकर मुझे बीस लाठिया मारी तो काम से काम दो सौ वोट तो जरूर अखिलेश को दिलाऊंगा। अब जब लोग ऐसी कसमे खाने लगेंगे तो फिर समाजवाद की जीत का संशय कैसा।
आज जब भाजपा बैठी हैं कि उनके लिए ब्राह्मण कोई जरूरी नहीं तो शायद यही सही अब अगर अखिलेश ने चाणक्य और चन्द्रगुप्त की पूरी भूमिका बना ली है और उस पर प्रियंका गांधी का भाजपा के खिलाफ अभियान की गति ने तेजी पकड़नी शुरू कर दी हैं तो गड्ढा मुक्त होने के चक्कर में बाभन मुक्त बनते इस प्रदेश में समाजवाद पैठ बना लेगा और राम राज की अगींठी की आंच वक़्त के साथ साथ थोड़ी मद्धम पड़नी तय मानो।
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