अशोक गोयल मँगालीवाला
दिल्ली। करनाल में किसानो के साथ जिस तरह से बर्बरता से लाठी चार्ज किये जाने का दृश्य आया और उसके बाद एसडीएम का वीडियो वायरल हुआ जो अगर सही हैं तो इससे साफ़ जाहिर होता कि यह एक गलत प्रशासनिक सोच का परिणाम था। जिसको एक अधिकारी की अपनी समझ ने इतने बड़े बेरहम काण्ड में बदल दिया।
मेरा मानना हैं कि यह कदम किसानो के सम्मान के साथ और उनकी आत्मा पर चोट पहुंचाने का कदम हैं इससे सरकार की अगर उन सभी योजनाओ पर पानी फिर जाता हैं जिसको वो किसानो की हितैषी बताती हैं। इसकी न्यायिक जाँच से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। अगर आज पंचायती राज व्यवस्था सशक्त होती तो खून नहीं बहता बल्कि खुशिया बहती। सरकारों की मंशा और लोगो की आस के बीच में कमजोर पंचायती राज के ऊपर यह मजबूत अफसरशाही हैं ऐसा मेरा मानना हैं।
आज यह सब देखकर मुझे लगा कि जिन जमींदारों की सेवा का सपना मेरे दादा ने देखा था और जिसके लिए मैं वापस हिसार आया. उन्हीं किसानो जमींदारों पर इतना बेरहम रवैया उनको लहू-लुहान करने का यह दृश्य। यह मुझे अंदर से विचलित कर गया। वो खड़े हैं झंडे दिखा रहे हैं क्या इतना बड़ा गुनाह हैं यह।और ऐसे कुछ अधिकारियों को निरंकुश होने से रोकने की कवायद अगर समय रहते नहीं की गयी तो यह पंचायतीराज के साथ साथ लोकतंत्र के लिए भी खतरा ही हैं।
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