- टीकाकरण महाअभियान के लिए 11 लाख अतिरिक्त टीकों की मांग
- डीएपी और यूरिया की आपूर्ति में कमी को पूरा करने का अनुरोध
प्रिया पटवाल
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण एवं रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री मनसुख एल. मंडाविया से उनके कार्यालय में मुलाकात कर टीकाकरण अभियान और प्रदेश में यूरिया व डीएपी की बढ़ती मांग पर विस्तार से चर्चा की । श्री चौहान ने बताया कि देश भर में चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के तहत सरकार राज्य के शत-प्रतिशत नागरिकों को वैक्सीन की दोनों खुराक पिलाने के लिए कटिबद्ध है. इसी क्रम में 25 व 26 अगस्त को टीकाकरण अभियान के दूसरे चरण का आयोजन किया जा रहा है। अभियान के तहत दो दिन में कुल 35 लाख नागरिकों का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है. श्री चौहान ने केन्द्रीय मंत्री से आग्रह किया कि उक्त अभियान को सफल बनाने के लिये राज्य को 24 अगस्त तक 11 लाख टीकों की अतिरिक्त खुराक मिल जाये ताकि अभियान को सफल बनाया जा सके. केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि केंद्र द्वारा राज्य सरकार को 24 अगस्त तक 11 लाख वैक्सीन की खुराक उपलब्ध करा दी जाएगी.
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में धान की रोपाई का कार्य प्रगति पर है, जिसके लिए प्रदेश में डीएपी की मांग बढ़ गई है. इसके साथ ही मक्का और धान में यूरिया की टॉप ड्रेसिंग की जा रही है, जिससे यूरिया की मांग भी बढ़ गई है। श्री चौहान ने आगे बताया कि केन्द्र द्वारा अब तक 12.13 लाख मीट्रिक टन यूरिया आवंटन की मांग के विरूद्ध केन्द्र द्वारा राज्य को मात्र 8 लाख मीट्रिक टन ही दिया गया है. इसी तरह डीएपी का आवंटन 8.05 लाख मीट्रिक टन के मुकाबले केवल 5 लाख मीट्रिक टन प्रदान किया गया है। श्री चौहान ने अनुरोध किया है कि शेष 4.13 लाख मीट्रिक टन यूरिया और शेष 3.05 लाख मीट्रिक टन डीएपी केंद्र द्वारा शीघ्र जारी किया जाए।
इसके अलावा केंद्रीय मंत्री के सुझाव पर मुख्यमंत्री ने मध्य प्रदेश में एक जिले में उर्वरक के लिए पायलट प्रोजेक्ट की तर्ज पर केंद्र द्वारा जारी ई-रुपये वाउचर योजना को लागू करने की बात कही. इसके अलावा उन्होंने एनपीके और एसएसपी उर्वरकों के साथ कृषि क्षेत्र में नैनो यूरिया को बढ़ावा देने की भी बात कही. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके मंत्री, सांसद, विधायक और प्रगतिशील किसान अपने-अपने खेतों में इसका इस्तेमाल करेंगे और किसानों को इसका पालन करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.
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