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संदेश

रोटरी क्लब जम्मू सिटी में नेतृत्व का नया अध्याय, रोटेरियन राजेश शर्मा बने अध्यक्ष

प्रिया बिष्ट  लोकल न्यूज ऑफ इंडिया  जम्मू. रोटरी क्लब ऑफ जम्मू सिटी ने अपने वार्षिक *प्रेसिडेंशियल इंस्टॉलेशन समारोह* के साथ नेतृत्व और सेवा के एक नए अध्याय की शुरुआत की। इस गरिमामय कार्यक्रम में रोटरी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रोटेरियन रोहित ओबेरॉय और जम्मू के संभागीय आयुक्त श्री रमेश कुमार (आईएएस) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। दोनों विशिष्टजनों ने संयुक्त रूप से क्लब के नवनियुक्त अध्यक्ष रोटेरियन राजेश शर्मा का औपचारिक रूप से कार्यभार ग्रहण समारोह संपन्न कराया। पूर्व अध्यक्ष रोटेरियन शिवांगी गुप्ता ने गरिमामयी परंपरा के अनुसार अध्यक्ष पद का कार्यभार रोटेरियन राजेश शर्मा को सौंपा। रोटेरियन राजेश शर्मा एक प्रतिष्ठित उद्यमी एवं सम्मानित नेतृत्वकर्ता हैं। वे पूर्व में *फिक्की* (भारतीय उद्योग व वाणिज्य महासंघ) और *सीआईआई* (भारतीय उद्योग परिसंघ) के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। समारोह में क्लब के प्रमुख सदस्यों — संजीव वैद, अमित गुप्ता, अरविंद कोटवाल, अरुण निनावत, केके शर्मा, निर्मल महना, कमल शर्मा, डॉ. ज्योति कौर, ऋतिका महाजन, आभा सुंदरन, जीएन टंटरे, गुरजीत सिंह —...

थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने द्रास में कारगिल विजय दिवस समारोह में वीर शहीदों को दी श्रद्धांजलि, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को बताया निर्णायक विजय

विजय शुक्ल  लोकल न्यूज ऑफ इंडिया  द्रास (लद्दाख).थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आज कारगिल युद्ध स्मारक, द्रास में आयोजित **26वें कारगिल विजय दिवस समारोह** में शिरकत करते हुए भारत के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्र को उनकी बलिदान भावना की याद दिलाई। अपने चौथे लगातार दौरे में, जिसमें वे पहले नॉर्दर्न आर्मी कमांडर और अब थलसेनाध्यक्ष के रूप में उपस्थित रहे, जनरल द्विवेदी ने इस ऐतिहासिक भूमि पर खड़े होकर कहा, > "यह केवल एक सैन्य आयोजन नहीं, अपितु पूरे राष्ट्र का पर्व है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि देश की सीमाओं के भीतर किसी भी कुटिल मंशा को भारत कभी स्वीकार नहीं करेगा।" जनरल द्विवेदी ने ऑपरेशन विजय (1999) के बलिदान को नमन करते हुए हाल ही में भारतीय सेना द्वारा किए गए **‘ऑपरेशन सिंदूर’** की सफलता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि > "ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने पाक-समर्थित आतंकवादी ढांचे को सटीकता से निशाना बनाया और बिना किसी नागरिक हानि के 9 उच्च-मूल्य आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर निर्णायक संदेश दिया — आतंकवाद को समर्थन देने वाले अब नहीं बचेंग...

द्रास की वादियों में राष्ट्रभक्ति की गूंज : माइ भारत पदयात्रा से मनाया गया कारगिल विजय दिवस

विजय शुक्ल लोकल न्यूज ऑफ इंडिया द्रास लद्दाख . सियाचिन की गोद में बसे वीरभूमि द्रास में आज का सूरज कुछ अलग उगा। यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं थी, बल्कि एक जीवंत स्मृति थी — उन शहीदों की, जिनकी बहादुरी और बलिदान ने 25 साल पहले कारगिल युद्ध में भारत की अस्मिता की रक्षा की थी। इस ऐतिहासिक अवसर पर, भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की पहल माइ भारत द्वारा एक विशेष श्रद्धांजलि पदयात्रा का आयोजन किया गया, जिसने द्रास की बर्फीली घाटियों में देशभक्ति की नई लहर दौड़ा दी। पदयात्रा की शुरुआत हिमाबस पब्लिक हाई स्कूल, द्रास से प्रातः 6 बजकर 30 मिनट पर हुई, जिसे केंद्रीय मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने झंडी दिखाकर रवाना किया। उनके साथ रक्षा राज्य मंत्री श्री संजय सेठ भी मौजूद रहे। दोनों नेताओं ने शहीदों को नमन करते हुए युवाओं के साथ कुछ दूर तक पैदल चलकर देशप्रेम का संदेश दिया। डॉ मांडविया ने अपने संक्षिप्त लेकिन भावुक संबोधन में कहा कि द्रास वो धरती है जहाँ पत्थरों में भी शौर्य की गूंज है। यहां तिरंगे के नीचे हर सांस एक सैनिक के बलिदान को महसूस करती है। इस पदयात्रा के माध्यम से हम युवा पीढ़ी को ...

कारगिल से करुणा तक: युद्ध स्मारक ने द्रास को कैसे बदल दिया — एक 25 वर्षों की सामाजिक यात्रा

दुश्मन से नहीं, बेरोजगारी, अलगाव और वीरानी पर विजय पाने का जीवंत उदाहरण है "कारगिल वार मेमोरियल" डॉ विजय शुक्ल  लोकल न्यूज ऑफ इंडिया  1999 की जून-जुलाई की वो रातें द्रास में सिर्फ हिमपात या बंदूकें नहीं बरसा रही थीं — वे एक ऐसी गाथा लिख रही थीं, जो आने वाले वर्षों में न केवल सैनिकों के सम्मान की दीवार बनेंगी, बल्कि एक बर्फ़ीले वीरान कस्बे को भारत के राष्ट्र-चेतना के मानचित्र पर अंकित कर देंगी। द्रास, लद्दाख का वह छोटा सा शहर, जो कभी भारत का दूसरा सबसे ठंडा इलाका कहलाने के अलावा बहुत कम जाना जाता था — 1999 के बाद सिर्फ तापमान नहीं, तक़दीर से भी पहचाना जाने लगा। लेकिन यह बदलाव कोई जादू की छड़ी से नहीं हुआ। यह 25 सालों की एक सधी हुई सामाजिक-सैन्य यात्रा का नतीजा है, जो आज भी जारी है। 1999-2002: युद्ध के बाद वीरानी और शोक जब युद्ध थमा, तब द्रास में शांति से ज्यादा सन्नाटा था। हर ओर जली हुई चौकियाँ, टुकड़ों में बिखरे मोर्चे, और डर से खाली हुए घर। स्थानीय लोग, जिन्होंने युद्ध के दौरान गांव छोड़ दिए थे, लौट तो आए, लेकिन आर्थिक और मानसिक स्थिति जर्जर थी। सेना ने युद्ध में शही...

“पद, पक्षपात और पर्ची का खेल: सुजीत विकास बलि का बकरा या सिस्टम का सच?”

कुर्सी का षड्यंत्र:  सुजीत विकास नहीं, पूरा कुमाऊं निशाने पर है विजय शुक्ल लोकल न्यूज ऑफ इंडिया  दिल्ली.   भारत की राजधानी दिल्ली से कहीं दूर उत्तराखण्ड की राजधानी में सुजीत कुमार विकास के खिलाफ निलंबन वाला खेल जीरो टॉलरेंस वाला प्रपंच कम एक साज़िश ज्यादा लग रही है और यह कोई "सिस्टमिक क्लीन-अप" नहीं थी, बल्कि एक "सिस्टम प्रोटेक्शन" थी — जिसमें असली भ्रष्टाचारियों ने मिलकर ईमानदार को ही खतरा मान लिया। और शैलेश बगौली इसके अगुवा चेहरा जरूर हैं — लेकिन असली स्क्रिप्ट किसी और ने लिखी, निर्देशन लॉबी ने किया, और मंच पर पर्दा गिराया गया DPC की पूर्व संध्या पर। उत्तराखंड पेयजल निगम में अधीक्षण अभियंता सुजीत कुमार विकास का निलंबन महज एक विभागीय कार्रवाई नहीं है। यह एक ऐसा प्रशासनिक प्रकरण बन चुका है जिसमें ईमानदारी, वरिष्ठता और क्षेत्रीय पहचान को योजनाबद्ध तरीके से सत्ता की भूख के नीचे कुचला गया है। सुजीत का नाम हटाकर केवल एक अफसर को नहीं, बल्कि कुमाऊं के पूरे प्रशासनिक ढांचे को यह संदेश दिया गया कि तुम्हें शीर्ष पदों तक पहुंचने का कोई अधिकार नहीं है। इस पूरे मामले की पृष्ठभू...

पिता के प्यार की मिसाल : शिव शंकर साहू ने साइकिल को बना दिया बाइक, बेटे की ख्वाहिश पूरी करने का अनोखा तरीका :

  अरूप सामल लोकल न्यूज ऑफ इंडिया  कटक । जब संसाधन सीमित हों लेकिन जज़्बा असीम हो, तब कुछ ऐसा ही कर दिखाते हैं लोग जैसे कि शिव शंकर साहू ने किया। कटक शहर के राजेन्द्र नगर इलाके से आई इस दिल को छू लेने वाली खबर ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पिता का प्यार किसी भी कीमत से परे होता है। शिव शंकर साहू एक साधारण व्यक्ति हैं। उनका बेटा एक बाइक की ख्वाहिश रखता था, मगर साहू जी की आर्थिक स्थिति बाइक खरीदने की अनुमति नहीं देती थी। लेकिन एक पिता भला अपने बेटे की मासूम चाहत को कैसे नजरअंदाज़ कर सकता है । यहीं से शुरू हुई एक अनोखी यात्रा—एक साइकिल को बाइक जैसा बनाने की यात्रा । दो महीनों तक दिन-रात की मेहनत, जुनून और प्यार से शिव शंकर साहू ने अपनी साधारण साइकिल को इस तरह से मॉडिफाई किया कि वह बिल्कुल असली मोटरसाइकिल जैसी दिखने लगी। इस रचना में उन्होंने करीब ₹20,000 का खर्च और अनगिनत घंटे लगाए । सबसे रोचक बात यह रही कि इस 'साइकिल-बाइक' को देखकर पुलिसकर्मी भी भ्रमित हो गए। कई बार उन्हें हेलमेट चेकिंग के दौरान रोका गया, लेकिन जब हकीकत सामने आई कि यह एक साइकिल है, तो पुलिसकर्मी भी मुस्कुरा उठे औ...

गुंडिचा मंदिर के निकट भगदड़ पर श्री गजपति महाराज ने जताया गहरा शोक, राज्य सरकार से की जांच की मांग

लक्ष्मी शर्मा  लोकल न्यूज ऑफ इंडिया  पुरी. श्री गुंडिचा मंदिर के निकट कल रात हुई दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ की घटना पर श्री गजपति महाराज ने गहरी व्यथा और स्तब्धता व्यक्त की है। इस हृदयविदारक हादसे में तीन श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। श्री गजपति महाराज ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए भगवान श्रीजगन्नाथ के श्रीचरणों में प्रार्थना अर्पित की और शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहन संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह एक अत्यंत पीड़ादायक क्षण है, जब श्रद्धालु धर्मस्थल पर अपनी आस्था लेकर आते हैं और ऐसी घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। गजपति महाराज ने राज्य सरकार से इस घटना की शीघ्र, निष्पक्ष और व्यापक जांच की मांग की है। साथ ही उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उचित और त्वरित कदम उठाए जाएं, ताकि भविष्य में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।